‘अटकण’ की वजह से हम अनंत जन्मो से भटक रहे है|हकीकत में खुद के पास आत्मा का परमानंद है, परंतु दैहिक सुखों की अटकणों में डूब गए है| यह अटकण ज्ञानीपुरुष की कृपा से टूट सकती है|यह जगत जैसा है वैसा है|उसमें हमे ‘खुद’ की सेफ साइड ढूँढ निकालनी है| Mehr anzeigen